अनियंत्रित जीवनचर्या व मोटापे से देश में घुटने की बीमारी तेजी से बढ़ रही है। भारत में 80 हजार से एक लाख घुटने प्रत्येक वर्ष बदले जा रहे हैं, जिसमें बुजुर्गों के साथ-साथ युवा भी शामिल हैं।
एम्स में अकेले 1200 घुटने हर साल बदले जा रहे हैं। एम्स में पार्शल नी ट्रासप्लांट की मदद से गठिया का दर्द झेल रहे मरीजों को राहत दी जा रही है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस यानी गठिया की बीमारी तेजी से युवाओं को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। पहले जहां 65 वर्ष की आयु तक में लोगों को घुटना प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती थी, वहीं अब तमाम मामलों में 35 से 45 वर्ष के लोगों को भी घुटनों की बीमारी से परेशान देखा जा रहा है।
घुटने की बीमारी बढऩे की मुख्य वजहों में मोटापा है। डॉक्टरों ने मोटापे के लिए जंक एवं फॉस्ट फूड के साथ-साथ अनियंत्रित जीवनचर्या को जिम्मेदार ठहराया है।
क्या है पार्शियल नी ट्रासप्लांट
पार्शियल नी ट्रासप्लांट में तकलीफ वाले हिस्से का ही ऑप्रेशन किया जाता हैै। इससे सबसे अधिक फायदा बुजुर्गों को होता है। एम्स में बुजुर्गों के लिए इस ऑपे्रशन में हाइटेक तकनीक की मदद ली जाती है, जिसे ऑर्थो अलाइजर कहते हैं। यह पूर्णतया कंप्यूटराइज है, जिससे डॉक्टरों को नुकसान हुए जगह को पहचानने में आसानी होती है। एम्स में 1200 घुटना प्रत्यारोपण में तकरीबन 100 पार्शल नी ट्रासप्लांट हुए।
एक घुटना खराब होने पर दूसरे की खराब होने की संभावना बढ़ जाती है
एक घुटना खराब होने पर दूसरे घुटने की खराब होने की संभावना कई गुणा बढ़ जाती है। लिहाजा, घुटने की बीमारी का समय पर इलाज कराना ही बेहतर है।
बच्चों के घुटने के दर्द को गंभीरता से लें
बच्चों के घुटने के दर्द को गंभीरता से लेना चाहिए। अधिकतर मामलों में बच्चों में घुटने के दर्द की वजह कुल्हे की बीमारी हो सकती है।
13 करोड़ लोग मोटापे के शिकार
आईसीएमआर की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, देश में तकरीबन 13 करोड़ लोग मोटापे के शिकार हैं। गठिया मरीजों के बढऩे की एक यह भी बड़ी वजह है।
सप्ताह में 2 बार से अधिक पेन किलर का सेवन खतरनाक
डॉक्टरों के मुताबिक, सप्ताह में 2 बार से अधिक पेन किलर का सेवन खतरनाक है। शरीर में किसी भी प्रकार के हो रहे दर्द से निजात के लिए पेन किलर की बजाय डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है।
गठिया के प्रमुख लक्षण
- खड़े होने या चलने में तकलीफ
- हड्डियों में टेढ़ापन
- हड्डियों से आवाजें आना
इनका करे परहेज
- अधिक सीढिय़ां चढऩे से
- अधिक वजह उठाने से
- घुटनों के बल बैठने से
- अक्रामक खेल खेलने से
इन्हें अपनाएं
- एक ही पोजिशन में काफी देर तक न बैठें
- 15 से 20 मिनट में अपने पैर को हिलाएं, या ठोड़ी देर के लिए टहलें
- मोटापे से बचने के लिए तली- भुनी चीजों से बचें
डॉ. राजेश मल्होत्रा, घुटना प्रत्यारोपण विशेषज्ञ, ऑर्थोपेटिक विभाग, एम्स
तकरीबन 20 वर्षों में भारत में अर्थराइटिस मरीजों की संख्या में 100 फीसदी बढ़ोतरी हो जाएगी। यहां 30 से 35 वर्ष के युवा घुटनों की पेरशानी को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं।
पार्शल नी ट्रासप्लांट गठिया मरीजों के लिए काफी मददगार बन रहा है। घुटने की बीमारी से बचने के लिए मोटापे पर काबू पाना होगा। साथ ही घुटने के दर्द वाले मरीजों को पद्माशन से बचना चाहिए।
Source: navodayatimes
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