
मासिक धर्म महिलाओं के अण्डोत्सर्ग या ओवुलेशन का आम तरीका है जो कि ११ से १४ वर्ष की उम्र में शुरू होता है और ४५ से ५१ साल की उम्र तक चलता है। मासिक धर्म हर २१ दिन के बाद होता है और इसके अंतर्गत बहने वाला खून ३ से ५ दिन तक जारी रहता है। मासिक धर्म की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं :-
नियमितता
मासिक धर्म हर २१ दिन में होता है जिसके अंतर्गत खून का निकलना एक आम बात है।
लक्षण
आम मासिक धर्म के काफी कम एवं छोटे लक्षण दिखाई देते हैं। जब ये लक्षण ज़्यादा दिखने लगते हैं तो मासिक धर्म की प्रक्रिया में समस्या उत्पन्न होने लगती है। मासिक धर्म के कुछ आम लक्षण हैं जैसे पेट में दर्द एवं मनोदशा में कुछ परिवर्तन होना।
खून का प्रकार
मासिक धर्म में बहने वाले खून का रंग,महक एवं निरंतरता सामान्य रहनी चाहिए।
खून बहने की मात्रा
खून बहने की मात्रा हर महिला के क्षेत्र में अलग होती है और इसका अंदाजा किसी महिला के रोज़ाना पैड बदलने की मात्रा से लगाया जा सकता है।
मासिक धर्म के दौरान होने वाली ऐंठन
मासिक धर्म की ऐंठन के अंतर्गत एक महिला मासिक धर्म के दौरान अपने पेट एवं कूल्हों के पास दर्द का अनुभव करती है। ये ऐंठन हलकी से लेकर काफी भीषण भी हो सकती है। हलकी ऐंठन के अंतर्गत महिलाओं के पेट में हल्का भारीपन रहता है परन्तु भीषण ऐंठन इतनी दर्दनाक होती हैं कि ये एक महिला की रोज़ाना के कार्य करने की शक्ति तक छीन सकती है। डॉक्टरी भाषा में इन ऐंठनों को डिस्मेनोरिअल कहते हैं। प्राथमिक डिस्मेनोरिअल की स्थिति में कोई सटीक कारण उपलब्ध नहीं होता वहीँ मध्यम डिस्मेनोरिअल किसी महिला के प्रजनन तंत्र में हुई गड़बड़ी की वजह से होता है। दर्द को दूर करने के लिए जलन दूर करने वाली दवाइयाँ ले सकती हैं। व्यायाम करने से भी मासिक धर्म की ऐंठन में काफी राहत मिलती है। ये ऐंठन उम्र बढ़ने के साथ ज़्यादा तेज़ होती जाती है।
मासिक धर्म की आम परेशानियां
प्रीं मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम
इस लक्षण के अंतर्गत शारीरिक एवं मानसिक दोनों लक्षण होते हैं। शारीरिक लक्षण के अंतर्गत सूजन,दाग धब्बे,पीठ का दर्द,स्तनों का कमज़ोर होना,सिरदर्द,कब्ज़ एवं खाने की प्रबल इच्छा जैसे लक्षण होते हैं। मानसिक लक्षण के अंतर्गत उदासी,चिड़चिड़ापन,कहीं ध्यान लगाने में असमर्थता और तनाव के लक्षण होते हैं।
अमेनोरिया या मासिक धर्म न होना
इस परेशानी को उन लड़कियों से जोड़ा जाता है जिनका १६ वर्ष की आयु पार करने पर भी एक भी बार मासिक धर्म न हुआ हो या वो महिलाएं जिनका मासिक धर्म अचानक रूक गया हो। प्राथमिक अमेनोरिया आमतौर पर आनुवांशिक गड़बड़ियों की वजह से होता है तथा असंतुलित हॉर्मोन एवं प्रजनन अंगों का ठीक से विकसित न होना भी इसका कारण हो सकता है। मध्यम अमेनोरिया हॉर्मोन असंतुलित होने की वजह से होता है तथा गर्भधारण भी इसकी एक वजह होती है। इसके अलावा स्तनपान,खाने पीने की गड़बड़ी,तनाव,अत्याधिक व्यायाम,गर्भ नियंत्रण की दवाइयाँ अचानक बंद करना,थाइरोइड की समस्या आदि भी अमेनोरिया के कारण हो सकते हैं।
डिसमेनोरिया या दर्द भरा मासिक धर्म
यह मासिक धर्म की ऐंठन का बहुत भयावह रूप है। इस दर्द से कुछ पेन किलर आपको आराम दिला सकते हैं। यूटरिन फैबरॉइड्स जैसी बीमारियों से भी खासा दर्द होता है।
एंडोमेट्रिओसिस
यह एक ऐसी समस्या है जिसके अंतर्गत बच्चादानी या अंडाशय के बाहर नए तंतु पनपने लगते हैं। इसके फलस्वरूप काफी मात्रा में रक्तपात तथा कूल्हों एवं पीठ में दर्द रहता है।
मासिक धर्म की ऐंठन के कुछ प्राकृतिक उपचार
१. खानपान सही करें। ताज़े फलों एवं सब्ज़ियों से युक्त संतुलित आहार लें। चीनी,तली चीज़ों तथा भारी खाने से परहेज़ करें तथा खाने में नमक की मात्रा घटाएं।
२. जिंक,कैल्शियम तथा विटामिन बी ऐंठन, सूजन एवं अन्य शारीरिक समस्याएं घटाने में मदद करते हैं।पेन किलरों से भी काफी लाभ होता है।
३. ऐंठन भगाने के लिए हल्का व्यायाम करें। चहलकदमी एवं योग से लाभ होगा। घुटनों के नीचे तकिया रखने से पीठ दर्द में आराम मिलेगा।
४. पेट पर पानी की गरम बोतल रखने से मांसपेशियों को आराम मिलेगा तथा लैवेंडर या कैमोमाइल से स्नान करने पर भी आराम की प्राप्ति होगी।
५. शरीर को आराम देने के लिए एक कप गरम आयुर्वेदिक चाय पियें। इसमें शहद के कुछ चम्मच मिला देने पर दर्द में राहत की अनुभूति होगी।
Source: hinditips
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