
यह सब बातें एक नए अध्ययन में सामने आई हैं और यह अध्ययन युनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉइस के प्रोफेसर एरॉन के. बार्बे के नेतृत्व में किया गया। बार्बे ने बताया, ‘इस शोध का मुख्य जोर बौद्धात्मक स्नायुविज्ञान पर था ताकि इस बात के बारे में समझ पैदा की जा सके कि कैसे मस्तिष्क की संरचना और कार्यप्रणाली में विशेष अंतरों द्वारा बौद्धिकता का स्वरूप निर्धारित होता है।’
पिछले कई सालों में बौद्धात्मक स्नायु विज्ञानी मस्तिष्क के विशेष क्षेत्रों और मस्तिष्कीय प्रक्रियाओं के बीच संबंध स्थापित करने की कोशिश कर रहे है जैसे कि आम बौद्धिकता और स्मृति इत्यादि।
अभी तक शोधार्थी एक ही विश्लेषण में मस्तिष्क संरचना और कार्यप्रणाली को एकीकृत करने में असमर्थ रहे हैं। यह अध्ययन न्यूरोइमेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
Source: zeenews
कृपया इस महत्वपूर्ण जानकारी को अपने परिवार और मित्रों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करें!