
टोंक. सआदत अस्पताल के आपातकालीन कक्ष (इमरजेन्सी वार्ड) को भी उपचार की दरकार है। नाम आपातकालीन कक्ष होने के बावजूद आउटडोर समय में ही नर्सेज पर मरीजों का दारोमदार रहता है।
दिनरात खुले रहने वाले इस कक्ष में सुविधाओं की कमी है। इससे मरीजों व चिकित्साकर्र्मियों को भटकना पड़ता है।
चिकित्साकर्मियों के बैठने के लिए जहां सुविधाओं का अभाव है, वहीं सड़क व अन्य हादसों में घायल मरीज के परिजन आपातकाल कक्ष में पहुंचने के बावजूद उसे एक कक्ष से दूसरे कक्ष में भटकना पड़ता है।
जबकि आपातकाल कक्ष में ही उसका उपचार शुरू हो जाना चाहिए, लेकिन चिकित्सक के अभाव में चिकित्साकर्मी उसे पहले अन्य कक्ष में चिकित्सकों के पास पहुंचाते हैं।
सम्बन्धित चिकित्सक के नहीं मिलने पर परिजन फिर से घायल को आपातकालीन कक्ष में लेकर आते हैं। ऐसे में मरीज का समय पर उपचार शुरू नहीं हो पाता।