
एक नई तकनीक आई है, जिससे आंखों का इलाज और आसान हो जाएगा. एक सॉफ्टवेयर के विश्लेषण से हेल्दी और सिक रेटिना के बीच डिफरेंस का पता चल जाएगा. इस तकनीक की मदद से आंखों की बीमारियों का पता शुरुआत में ही लग जाएगा. साथ ही यह रेटिना की जांच के लिए स्मार्टफोन आधारित एप के निर्माण में मददगार साबित हो सकता है.
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क्या है ये सॉफ्टवेयर
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ये टेक्नीक ऑप्टिकल कोहरेंस टोमोग्राफी (ओसीटी) से प्राप्त तस्वीरों से टिश्यूज की अन्य गड़बड़ियों का पता लगाने में उपयोगी साबित हो सकती है. ओसीटी एक नॉन-इनवेसिव (बिना चीर-फाड़ के) इमेजिंग टेस्ट है, जिससे डॉक्टर्स को रेटिना की मोटाई के स्तर में आए बदलाव का पता चलता है.
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