
डॉक्टरों के पास भागने या क्लीनिकों में समय गुजारने की बजाए दोस्तों और परिवार के साथ संबंध ठीक करने से मरीजों की हालत में असरदार तरीके से सुधार हो सकता है.
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एक नए अध्ययन में अध्ययनकर्ताओं ने असरदार सामाजिक सहभागिता का सुझाव दिया है जिससे कि स्वास्थ्य में सुधार होगा और उनकी स्वीकार्यता बढ़ेगी. अमेरिका में पेनसेलवानिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डेविड आश ने कहा, ‘‘मरीज के अपने फैसले लेते वक्त अधिकतर उनके पास उनके हमसफर अथवा मित्र होते हैं. मसलन कि मरीज टेलीविजन देखने का फैसला लेता है या घूमने का. रेस्तरां में कैसा ऑर्डर देता है.
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