भागते हुए गिर जाने पर या फिर खेलते समय अक्सर घुटने के जोड़ के लिगामेंट्स आंशिक रूप से चोटिल हो जाते हैं। खासकर प्रमुख लिगामेंट एसीएल (एंटीरियर कू्रसिएट लिगामेंट) पर सबसे अधिक असर पड़ता है, जिससे रोजमर्रा के काम करने में असुविधा होने लगती है। नियमित व्यायाम और रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम से इस तरह चोटिल हुए लिगामेंट्स को आराम से ठीक किया जा सकता है। घुटनों की मजबूती के लिए नीचे दिए व्यायामों को सामान्य तौर पर करते रहना चाहिए।

इस व्यायाम का उद्देश्य अपने पैरों की क्रियाशीलता को बढ़ाना है। एक मजबूत कुर्सी पर बैठें। कंधे और पैरों के पंजों को समान सीध पर रखें। पैरों की उंगलियां सीधी आगे की ओर रखें। थोड़ा सा आगे की ओर झुकें और जांघ व कूल्हे की मांसपेशियों का इस्तेमाल करते हुए सीधे खड़े हो जाएं। अब नीचे बैठते हुए कूल्हे को कुर्सी तक ले जाएं और फिर सीधे खड़े हो जाएं। इस प्रक्रिया को 10 से 15 बार दोहराएं।
इस व्यायाम का उद्देश्य खड़े होते समय घुटनों पर अच्छी पकड़ बनाना है। किसी कुर्सी व मेज का सहारा भी ले सकते हैं। जिस पैर में चोट नहीं लगी है या दर्द नहीं हो रहा है उसको पीछे की ओर ले जाएं और शरीर का अधिकतम भार अपने चोटिल पैर पर डाल लें। अपने घुटने को पैरों की उंगलियों के अंतराल जितना मोड़ें और फिर जांघ के सामने वाली मांसपेशियों का इस्तेमाल करते हुए घुटने को सीधा कर लें। इस क्रिया को 10 से 15 बार करें।
यह व्यायाम जांघ में सामने की ओर की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, जिससे घुटने में भी मजबूती आती है। घुटने सीधे रखते हुए जितना संभव हो जमीन पर सीधे बैठें। अपनी जांघ की मांसपेशियों को संकुचित करते हुए घुटने के पिछले हिस्से को जमीन पर लगाने की कोशिश करें। आप चाहें तो तौलिए का रोल बनाकर पैरों के नीचे रख सकते हैं। तीन सेकेंड तक घुटने को इसी तरह दबाव के साथ जमीन से सटाए रखें और फिर ढीला छोड़ दें। इस प्रक्रिया को 10 से 15 बार करें।
इस व्यायाम से जांघ की सामने और पीछे की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। साथ ही घुटने को मोड़ते समय आने वाली परेशानी भी दूर होती है। पैरों को सीधे फैला लें। अब जिस पैर में चोट लगी है, उस पैर की ऐड़ी को अपने कूल्हे की ओर लाएं, फिर उसे वापस वास्तविक स्थिति में ले जाएं। इसी प्रक्रिया को 10 से 15 बार दोहराएं।
Source: shiromaninews
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