
1. हेमोग्लोबिन का संश्लेषण, मस्तिष्क का प्रकार्य तथा शारीरिक प्रतिरक्षा करने के लिये लोहे की आवश्यकता होती है.
2. लोहे की अपर्याप्तता से अल्परक्तता हो जाती है.
3. लोहे की अपर्याप्तता, विशेषकर जननीय आयु की महिलाओं तथा बालकों में हो जाना सामान्य है.
4. गर्भकाल में लोहे की अपर्याप्तता होने से माताओं की मृत्युदर तथा अल्प भारवाले शिशुओं का जन्म अधिक होता है.
5. लोहे की अपर्याप्तता से बालकों में संक्रमण की गुंजाइश बढ़ जाती है तथा उनकी विद्या-ग्रहण करने की क्षमता में अधिक क्षति होती है.
6. वनस्पति मूल के खाद्य पदार्थों जैसे फलियों, सूखे मेवो तथा पत्तीदार हरी शाक सब्जियों में लोहा विद्यमान होता है.
7. लोहा माँस, मछली तथा कुकुय-उत्पादों के द्वारा भी प्राप्त किया जा सकता है.
8. लोहे की जैव-प्राप्यता वानस्पतिक खाद्य पदार्थों से अपर्याप्त होती हैं किन्तु पशुमूल के खाद्य पदार्थों से यह अच्छी होती है.
आँवला, अमरू द तथा नींबू-वंश के फलों जैसे विटामिन सी से भरपूर फल खाने से वानस्पतिक खाद्य- पदार्थों से प्राप्त लोहे का अवशोषण बढ़ जाता है.
9. चाय जैसे पेय आहारी लोहे को बाँधकर अप्राप्त कर देते हैं। अतः भोजन करने से पूर्व अथवा उसके तत्काल बाद ऐसे पेय सेवन करने से बचना चाहिये.
10. गर्भ तथा दूध पिलाने की अवधि में अधिक मात्रा में भोजन करें.
Source: newstracklive
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