
शोधकर्ताओं का कहना है कि आने वाली सदियों में पूरी दुनिया का तापमान तेजी से बढ़ रहा है जिससे पानी की कमी से भी जूझना पड़ेगा। बढ़ते तापमान और पानी की कमी से कई सारी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें घेर लेगी जिसमें डीहाइड्रेशन और हीट स्ट्रेस प्रमुख हैं।
अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोरेडो स्कूल ऑफ मेडिसिन की एक टीम जिसे रिचर्ड जॉनसन और जै लीमन ने नेतृत्व किया का कहना है कि किडनी की नई तरह की बीमारियों का कारण कुछ भी पाराम्परिक नहीं है बल्कि तेजी से बढ़ता तापमान है जो हीट स्ट्रेस और शरीर में पानी की कमी को बढ़ावा देता है। खासतौर पर गांवों में जहां पहले से ज्यादा गर्मी है, वहां असर ज्यादा होगा। खेतों में काम करने वाले लोगों पर इसका असर ज्यादा हो सकता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि सरकारों और वैज्ञानिकों को साथ मिलकर आगे आना होगा और इस तरह काम करना होगा। किडनी की एक खासतरह की बीमारी दुनिया भर के उन सभी गर्म देशों में परेशान करने वाली हैं जहां इस महामारी की वजह ग्लोबल वार्मिंग होगी।