कब्ज, पाचन तंत्र की उस स्थिति को कहते हैं जिसमें कोई व्यक्ति (या जानवर) का मल बहुत कड़ा हो जाता है तथा मलत्याग में कठिनाई होती है। कब्ज अमाशय की स्वाभाविक परिवर्तन की वह अवस्था है, जिसमें मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है, मल कड़ा हो जाता है, उसकी आवृति घट जाती है या मल निष्कासन के समय अत्यधिक बल का प्रयोग करना पड़ता है। सामान्य आवृति और अमाशय की गति व्यक्ति विशेष पर निर्भर करती है। एक सप्ताह में 3 से 12 बार मल निष्कासन की प्रक्रिया सामान्य मानी जाती है।
कब्ज का होमियोपैथिक इलाज:-
होमियोपैथी चिकित्सा की सबसे लोकप्रिय समग्र प्रणालियों में से एक है|
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होमियोपैथी में इलाज के लिए दवाओं का चयन व्यक्तिगत लक्षणों पर आधारित होता है।
यही एक तरीका है जिसके माधयम से रोगी के सब विकारों को दूर कर सम्पूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
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होमियोपैथी का उद्देश्य कब्ज करने वाले कारणों का सर्वमूल नाश करना है न की केवल कब्ज का ।
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जहां तक चिकित्सा सम्बन्धी उपाय की बात है तो होमियोपैथी में कब्ज के लिए अनेक होमियोपैथिक दवाइयां उपलब्ध हैं।
निम्नलिखित होम्योपैथिक दवाइयां कब्ज़ के उपचार में काफी लाभकारी होती है :-
*ऐथूसा (Aethusa)
*अलुमन (Alumen)
*एलुमिना (Alumina)
*ब्रयोनिआ अलबा (Bryonia alba)
*एलो सोकोट्रिना (Aloe socotrina)
*ऐन्टिम क्रूड (Antim crude)
*बेप्टेसिआ (Baptesia)
*कल्केरिया कार्ब (Calcaria carb)
*चाइना (China) *कोलिन्सोनिआ (Collinsonia)
*ग्रैफाइटिस (Graphites)
कब्ज की सिंगल रेमेडी से चिकित्सा के लिए मटेरिया मेडिका का अध्ययन करना चाहिए| ज्यादा माथा पच्ची न कर सकें तो उपरोक्त में से कोइ भी पांच औषधिया मिलाकर ले सकते हैं|
Source: homenaturecure
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