
विषम ज्वर (मलेरिया) में इसे (3-5 कलियों को) पीस कर या शहद में मिलाकर कुछ मात्रा में तेल या घी साथ सुबह खाली पेट देने से प्लीहा एवं यकृत वृद्धि में लाभ मिलता है।
2. आंत्रिक ज्वर/मियादी बुखार/मोतीझरा (Typhoid) तथा तन्द्राभज्वर (Tuphues) में इसके टिंक्चर की 8-10 बूंदे शर्बत के साथ 4-6 घण्टे के अन्तराल पर देने से लाभ मिलता है। यदि रोग की प्रारंभिक अवस्था में दे दिया जाये तो ज्वर बढ़ ही नहीं पाता है।
3. इसके टिंक्चर की 5-7 बूंदें शर्बत के साथ (Intestinal antiseptic) औषध का काम करती है। ह्वदय रोग में: 1. ह्वदय रोग की अचूक दवा है।
2. लहसुन में लिपिड (Lipid) को कम करने की क्षमता या Antilipidic प्रभाव होने के कारण कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लिसराइडस की मात्रा को कम करता है।
3. लहसुन की 3-4 कलियों का प्रतिदिन सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल का बढ़ा हुआ लेवल कम होकर ह्वदयघात (Heartattack) की संभावनाओं को कम करता है।
Source: hindustanijaluk
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