
मिर्गी की बात सुनते ही लोग इस बीमारी को लेकर तरह-तरह की बात करने लगते हैं। हर कोई अपनी ज्ञान की जानकारी देना शुरू कर देता है। कोई कहना है भूत ने पकड़ा है तो कोई कहता है वंश में किसी का होगा, या कोइ इसको पागल या मानसिक बीमारी का लक्षण बताता है। ज्यादातर डॉक्टर एपिलेप्सी यानी मिर्गी रोग को मानसिक विकार करार देते हैं, लेकिन एक नए शोध में हृदय की कार्यप्रणाली का मिर्गी रोग के साथ संबंध देखने को मिला है। शोधार्थियों को एक अध्ययन में हृदय की गतिशीलता में कुछ बदलावों की वजह से बच्चों में मिर्गी रोग के लक्षण देखने को मिले। हाल के एक रिसर्च से ये पता चला है कि मिर्गी का संबंध दिमाग से नहीं दिल से भी होता है। इसलिए मिर्गी के मरीज़ को न करें नजरअंदाज, तुरन्त करें इलाज।
शोधार्थियों ने पाया कि सहानुकंपी तंत्रिका तंत्र नींद के दौरान स्वस्थ्य बच्चों की अपेक्षा मिर्गी ग्रस्त बच्चों में श्वसन तंत्र में परिवर्तन कर हृदय गति को धीमा कर देता है। यह शोध ‘न्यूरोफिजियोलॉजी’ पत्रिका के ऑनलाइन संस्करण में प्रकाशित हुआ है।
Source: thehealthsite
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