
उदासी, फिर निराशा और फिर डिप्रेशन। यह छोटी-सी भावना गहरा जाए तो जानलेवा हो जाती है। भारत जैसा खुशहाली में यकीन रखने वाला देश अवसाद के मामले में नंबर दो पर आ पहुंचा है। सचेत हो जाइए। समय रहते इससे छुटकारा पाना ही ठीक है। जितनी सतही यह समस्या लगती है, उसकी जड़ें उतनी ही गहरी बैठ जाती हैं। आज हम आपको बता रहे है कि कैसे आप ज़रा सी सावधानी से डिप्रेशन से मुक्ति पा सकते हैं…
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क्या करता है डिप्रेशन…
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निराश ही तो है, कुछ दिन में अपने-आप मन बहल जाएगा। सब ठीक हो जाएगा…। हम ऐसा ही तो सोचते हैं, जब कुछ दिनों से घर-परिवार में हमें कोई चुप-चुप, अलसाया सा, चिड़चिड़ाया सा दिखता है। हम वक्त को डॉक्टर मान कर निश्चिंत हो जाते हैं।