हाल ही में प्रकाशित एक नए शोध के अनुसार व्यक्ति के चलने की शैली को देख कर कई लक्षणों का पता लगाया है। ऊर्जावान तेज़ चाल से खुशी का पता चलता है। आत्मविश्वास की गुणवत्ता फैले चरणों से प्रदर्शित होता है तो लम्बे चरणों से दोस्तों से आगे जाने को बताता है। भारी कदम के साथ टहलने, हर चीज़ पर दबाव डालने के द्वारा व्यक्ति के हठ का पता चलता है। उदास और दु: खी व्यक्तियों द्वारा धीरे-धीरे अपने पैर पीछे से घसीटता हुये चलना देखा गया हैं। कैट वॉक प्रदर्शन चाल है जो सामन्यतया फैशन प्रदर्शनियों ,मे दिखायी देता है। सर झुकाकर चलना यह प्रदर्शित करता है कि व्यक्ति अच्छी मन:स्थिति में नहीं है और एक व्यक्ति जो सर उठा कर चलता है यह प्रदर्शित करता है कि व्यक्ति अच्छी मन:स्थिति में है।

पैदल चलने की शैली मन को कैसे प्रभावित करती है?
जर्नल ऑफ बिहेवियर थेरेपी एंड एक्स्पेरिमेंटल साइकियाट्री में प्रकाशित एक अद्यतन अध्ययन की रिपोर्ट में यह उद्घाटित किया गया है कि मनोदशा एक व्यक्ति की चाल पर पर्याप्त प्रभाव डालती है। शोधकर्ताओं ने एक व्यक्ति के चलने की शैली की विशेषताओं का पता लगाया है, लेकिन कहा जा सकता है कि व्यक्ति की चलने की शैली भी उसकी मनोदशा को बदल सकते हैं। यदि एक व्यक्ति खुशी की मनोदशा वाली चाल चलने की शैली को अपनाता है तो वह जल्द ही उसी मनोदशा में आ जायेगा।
अध्ययन किया गया
खराब मनोदशा के अध्ययन को जिन लोगों के ऊपर प्रयोग करके प्राप्त किया गया है उनमें शामिल हैं उदास शैली में चलना, हाथों को कम हिलाकर चलना, कंधों को झुका कर चलना है। चलने की शैली में कोई नई बात नहीं है, लेकिन चलने की शैली से मनोदशा में बदलाव को देखना आश्चर्यजनक है।
तख्तियों को, जिस पर लिखा था खूबसूरत, डर और चिंतित जैसे शब्द लिखे गए थे, दिखाने के बाद ट्रेडमिल पर चलने के लिए कहा गया था। व्यक्तियों की चाल और मुद्रा को बिना उनके जानकारी के मापा गया था। उन्हें निर्देशित चाल पर चलने के लिये कहा गया था जैसा कि टीम चाहती थी। इसके बाद उनसे उन शब्दों को लिखने के लिये कहा गया जिन्हें उन्होंने देखा था। । यह तर्क सुनिश्चित संकेत था कि जो लोग उदास चलने की शैली में थे उन्होंने उदास मनोदशा को विकसित कर लिया था।
यह भी पता लगाया गया था कि मनोदशा किस प्रकार स्मृति को प्रभावित करती है। अवसादग्रस्त लोगों को प्राय: उदासी वाली घटनायें याद रहती है और उन्ही यादों को याद करता है जो उन्हें उदास करता है। यह तरीका अवसादग्रस्त रोगियों का उपचार करने में उपयोग किया जा सकता है।
अध्ययन उन प्रश्नों को भी शामिल करता है जो उन रहस्यों को खोलने का काम करता है की मस्तिष्क संवेदनशील उत्तेजनाओं को सूचना में कैसे परिवर्तित करता है और मानवशैली को कम्प्यूटर में पुन: बनाया जाय। रिपोर्ट यह भी बतलाता है कि सामजिक पशु जैसे मानव समाज अन्य लोगों को देखने में समय व्यतीत करता है जैसे चेहरे की मुद्रायें, शारीरिक भाषा और सलीका। मनुष्य के जैविक संरचना को समझकर और अपने स्वयं की गतियों से प्राप्त सूचनाओं के द्वारा बेहतर कृत्रिम बुद्धिमत्ता को विकसित करने के लिये, लोग शोधकर्ताओं की सहायता कर सकते हैं।
Source: hinditips
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