कैंसर से मरने वाली महिलाओं में गर्भाशय का कैंसर (बच्चेदानी का कैंसर) नंबर एक किलर है। दुनिया भर में हर रोज गर्भाशय के कैंसर से पीड़ित महिलाओं के 10 लाख नए मामले सामने आ रहे हैं। चिंता की बात ये है कि इनमें से 26 फीसदी मामले भारत के होते हैं। ये स्थिति तब है जबकि टीकाकरण से इस समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है। 13-17 जनवरी तक कलाकृति ग्राउंड में आयोजित होने जा रही (59वीं ऑल इंडिया कांग्रेस ऑफ ऑब्स्ट्रेटिक एंड गायनेकेलॉजी) आईकोग की ओर से भारत में गर्भाशय के कैंसर की गंभीर स्थिति को नियंत्रित करने के उद्देश्य से इसके टीकाकरण को सरकारी कार्यक्रम में शामिल करने की मांग की गई है।
आईकोग की आयोजन सचिव प्रो. जयदीप मल्होत्रा ने बताया कि गर्भाशय के कैंसर से हर रोज 200 महिलाएं मर रही हैं, यानि एक घंटे में 8 महिलाएं और हर सात मिनट में एक महिला इसकी वजह से दम तोड़ रही है। ह्यूमन पैपीलोमा वायरस से होने वाले इस कैंसर से 9 से 26 वर्ष की उम्र में किया गया टीकाकरण बचा सकता है। लेकिन दो हजार का एक टीका और पूरा कोर्स 6 हजार रुपये तक का होने से महिलाएं अपनी सुरक्षा दांव पर लगा देती हैं। इससे बचाव इसलिए भी जरूरी है कि पीड़ित महिला के संपर्क में आने वाले पुरुष इस ह्यूमन पैपेलोमा वायरस की वजह से पिनाइल कैंसर का शिकार हो सकते हैं। इसलिए ये टीकाकरण पुरुषों के लिए भी जरूरी है।

प्रोफेसर जयदीप मल्होत्रा ने कहा कि इस कैंसर का बचाव होने के बाद भी भारत में इससे पीड़ित महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। यही वजह है कि आईकोग की ओर से सरकारी कार्यक्रम में महिलाओं में कैंसर के सबसे बड़े किलर गर्भाशय के कैंसर के टीकाकरण को शामिल करने की मांग की गई है।
प्रोफेसर जयदीप मल्होत्रा ने बताया कि 9-26 वर्ष की उम्र या पहला इंटरकोर्स होने से पहले गर्भाशय कैंसर का टीकाकरण हो जाना चाहिए। पहले टीके के बाद दूसरा एक महीने बाद और तीसरा चार महीने बाद किया जाता है। यदि टीकाकरण 9-15 वर्ष की उम्र के बीच किया जाए तो सिर्फ दो टीके ही पर्याप्त हैं। हालांकि इसका टीकाकरण 45 वर्ष की उम्र तक कभी भी किया जा सकता है।
कृपया इस महत्वपूर्ण जानकारी को अपने परिवार और मित्रों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करें!