
बच्चे के जन्म के समय मां को इतना होश नहीं रहता कि वो किसी बात का ध्यान रख पाए। लेकिन एक ऐसी चीज़ है, जो सिर्फ उसी समय की जा सकती है। इसलिए डिलीवरी से पहले ही आप अपने डॉक्टर को ये बात बता दें कि जैसे ही नवजात शिशु को साफ किया जाए, उसे आपके सीने पर एक बार लिटाया जाए। इस प्रक्रिया को ब्रेस्ट क्राउल कहते हैं। जब आपना बच्चा आपकी चेस्ट पर लेटता है और अपने आप स्तनों तक पहुंचता है। इससे स्तनपान शुरू करने में मदद मिलती है। साथ ही, पैदाइश के बाद जब शिशु जब सबसे पहले अपनी मां से इतना करीब होता है तो दोनों का रिश्ता भी गहराता है।
ब्रेस्ट क्राउल के फायदे
भारत में ज्यादातर हॉस्पिटल में इस प्रक्रिया को अपनाया नहीं जाता, लेकिन आप अपनी बारी में ये सुनिश्चित कर सकती हैं। ब्रेस्ट क्राउल के फायदे यहां बताए जा रहे हैं:
- ब्रेस्ट से आने वाली एक ख़ास किस्म की गंध शिशु को निप्पल तक पहुंचने में मदद करती है। ये गंध एमनिऑटिक फ्लूड की गंध जैसी होती है। निप्पल तक पहुंचने पर ये भी ज़ाहिर हो जाता है कि शिशु की गंध पहचानने की क्षमता का विकास हो गया है।
- जब शिशु मां के निप्पल पर अपना हाथ लगाता है तो मां के शरीर में ऑक्सिटोसिन नाम का हार्मोन रिलीज़ होने लगता है, जिससे मां के स्वास्थ्य को कई लाभ होते हैं।
- ब्रेस्ट क्राउल से इस बात का संकेत मिलता है कि शिशु का कंधा, गर्दन और कूल्हे की मांसपेशियां इतनी विकसित हो गई हैं कि वो हिल पा रहा है।
- अध्ययनों में ये बात सामने आई है कि जब शिशु ब्रेस्ट क्राउल करता है तो इससे ब्रेस्टफीडिंग की प्रक्रिया आसान हो जाती है।
Source: thehealthsite
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