कौन ऐसा आदमी होगा जो चाहेगा कि उसे जल्द बुढ़ापा आए? बुढ़ापे से तो सब डरते हैं और चाहते हैं कि वह कभी आए ही ना। फिर भी जीवन की तीनों अवस्थाओं –बचपन, जवानी और बुढ़ापा को तो शाश्वत सत्य माना गया है। किसी की अकाल मृत्यु न हो तो ये तीनों अवस्थाएं देखनी ही पड़ती हैं। लेकिन हिन्दू धर्म ग्रंथों में कुछ सूत्र बताए गए हैं, जिनके अनुसार चलकर आदमी सुखी रह सकता है। बुढापे से बचना है तो कुछ बातों का पालन करना ही चाहिए। ऐसी ही छह बातें हैं जो जल्द बुढ़ापा लाने वाली हैं।
महाभारत में एक श्लोक है –
ईर्ष्या घृणो न संतुष्ट: क्रोधनो नित्यशङ्कित: ।
परभाग्योपजीवी च षडेते नित्यदु:खिता:॥
इस श्लोक में आदमी के जल्द बुढ़ापे के प्रति आगाह किया गया है। इसका मतलब है कि बुढ़ापा न चाहने वाले व्यक्ति को इन छह बातों से सावधान रहना चाहिए।
1. ईर्ष्या – जलन रखने वाला
जो व्यक्ति दूसरों से जलता है, जल्द बूढ़ा हो जाता है। वैसे भी ईर्ष्या तो हमेशा आपका ही नुकसान करती है, सामने वाले का नहीं। इसलिए कभी भी ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए, क्योंकि यह खुद एक और समस्या है, किसी समस्या का समाधान नहीं।
2. घृणा मतलब नफरत करने वाला
ईर्ष्या और घृणा दोनों अलग–अलग भावनाएं हैं। ईर्ष्या आमतौर पर किसी के ऐसे गुण को देखकर होती है, जो आपके पास नहीं है, जैसे कार, बंगला, अच्छे बच्चे आदि। वहीं घृणा किसी से भी हो सकती है। लेकिन यदि आपको जल्दी बूढ़ा नहीं होना तो किसी से नफरत न करें। नफरत करेंगे तो आपका ही खून जलेगा।
3. पर–अाश्रित यानी दूसरे के भाग्य पर जीवन जीने वाला
मानव को भगवान ने स्व्–आश्रित बनाया है। मतलब आदमी खुद से कमा–खा सकता है। लेकिन कुछ लोग दूसरों के आश्रय में जिंदगी बिताने लगते हैं। दूसरों के प्रदान किए सुख में आनंद लेने वाला व्यक्ति कभी वास्तव सुख नहीं पा सकता। उसे ये डर लगा रहता है कि पता नहीं ये सुख कब छिन जाएंगे। इसलिए बुढ़ापे से बचना है तो स्व–आश्रित रहें, पर–आश्रित नहीं।
4. क्रोधी यानी गुस्सैल व्यक्ति
जब किसी को क्रोध आता है तो चेहरा लाल हो जाता है, दिल की धड़कन बढ़ जाती है और हाथ–पांव कांपने लगने हैं। यह शारीरिक दुर्बलता का सबसे बड़ा उदाहरण होता है। गुस्से से शरीर को भारी हानि होती है। इसलिए बुढ़ापे से दूर रहना है तो गुस्से से भी दूर रहें।
5. हमेशा शंका करने वाला
शक्की स्वभाव का व्यक्ति कभी किसी का प्रिय नहीं बन पाता। उसका स्वभाव पता लगने के बाद लोग उससे दूर रहना पसंद करते हैं। उसके दिमाग में हर समय शंका के अंकुर फूटते रहते हैं। इसलिए धीरे–धीरे उसका दिमाग पॉजीटिव एनर्जी की बजाय सिर्फ नेगेटिव एनर्जी देने लगता है और बुढ़ापा जल्दी उसे घेर लेता है।
6. असंतोषी यानी संतोष न करने वाला
हर बात में कमी ढूंढने वाला व्यक्ति किसी काम से खुश नहीं हो सकता। वह हमेशा असंतोषी रहता है। उसे कितना ही अच्छा खाना खिला दो, कोई न कोई कमी वो ढूंढ ही लेगा। मतलब उसे किसी बात में संतोष नहीं होता। ऐसा व्यक्ति कभी भी खुश नहीं रह सकता। इसी कारण वह जल्दी ही वृद्धावस्था की ओर बढ़ने लगता है।
Source: sirfkhabar
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